एक दीन – हीन आठ-दस वर्ष की लड़की से दुकान वाला बोला कि ” छुटकी जा देख तेरा छोटा भाई रो रहा है तुमने दूध नहीं पिलाया क्या ?”
“नही सेठ मैंने तो सुबह ही दूध पिला दिया था “
“अछा तू जा जाकर देख में ग्राहक संभालता हूं। “
एक ग्राहक सेठ से – ” अरे भाई ये कौन लड़की है । जिसे तुमने इतनी छूट दे रखी है , परसोसारे ग्लास तोड़ दियें , कल एक आदमी पर चाय गिरा दी , और तुमने इसे कुछ नहीं कहा . . . “
सेठ – ” भाई साहब ये वो लड़की हैं , जो शायद तुम्हें आज के कलयुग मे देखने को ना मिलें ,”
ग्राहक – ” मैं समझा नहीं “
सेठ – ” चलो तुम्हे शुरू से बताता हूं। एक दिन दुकान पर बहुत भीड़ थी , और कोई नौकर भी नहीं था , ये लड़की , अपने छोटे भाई को गोद में लिए , काम मागने आयी , ” और इसकी शर्त सुनेगा . इसने शर्त रखी . . . . ”
मुझे काम के पैसे नहीं चाहिए बस काम के बीच में मेरा भाई रोया तो , मैं भाई को पहले देखूंगी , सुबह , दोपहर , शाम , रात चार टाइम दूध चाहिए . . . रहने के लिए मैं इसी होटल के किचन पर रहूंगी , खाने के लिए जो बचेगा , उसे खा लूंगी , मेरे भाई के रोने पर आप चिल्लाओगे नही , अगर कुछ काम बच गया तो मेरे भाई के सोने के बाद , मैं रात को होटल के सारे काम कर दूंगी , अगर मंजूर हो तो बताओ
ग्राहक – ” फिर तुमने क्या कहा ” सेठ _ ” मैं तो हंस पड़ा , और कहा और कुछ मेरा मतलब की कोई पैसों की खास डिमांड वगैरह . . . तो इसने कहा – ” बस इतना ही , की मुझे काम मिले , मैं सड़को पर भीख नही माँगना चाहती , ना ही अपने भाई को भिखारी बनाना चाहती हूं , दिल लगाकर काम करूंगी , उसे पठाऊँगी , बड़ा आदमी बनाऊंगी ” उतने में छुटकी आ गई . . . . .
” सेठ जी उसने चड्डी में सुसु कर दिया था , इसलिए रो रहा था , अब सो गया अब नहीं रोयेगा , मैं अब काम पर लगती हूं . . . ग्राहक – ” तुमने उस फिर क्यों कुछ नहीं बोला? . . . ” सेठ मुस्कुराते हुए – ” अरे जनाब , आप बस किताबों में ही पढ़ते हो क्या . . . अच्छी चीजे . . ? जरा इसको देखा तो , भर नन्ही सी जान , छोटी सी उमर , काम करना चाहती है , हाथ फैलाना नहीं , कोई तो होना चाहिए ना , उसे अपने पैरों पर खड़े करने के लिए , शायद बंसीवाले ने , ये काम मुझे सौपा , कि मैं उसे एक रास्ता दिखाऊ , और फिक्र इस बात की हैं ना कि वो ग्लास ही तोड़ती हैं , विश्वास नहीं तोड़ेगी , और जरा ये भी तो सोच , बच्ची कहा जाती , यही पड़ी है दोस्त , जब तक प्रभु की मर्जी है , मैं कौन होता हूं ? , उसकी कहानी में उसका लिखा बदलने वाला . . . .
छुटकी फिर दौड़ते हुए उस ग्राहक की चाय गिराते हुए बोली – ” सेठ भाई रो रहा , आप आर्डर लो इस बार ग्राहक भी हंस पड़ा और कहने लगा , जाइयें , सेठजी , महारानी ने आदेश दिया है लग जाइए . . . . ” दोनों मुसकुराने लगे वहीं छुटकी छोटे भाई को संभालने लग गयी
दोस्तों ऐसे लोग हमें बहुत ही कम देखने को मिलते जो दूसरों की मदद करते हैं दोस्तों अगर आपको भी कोई ऐसी ही मदद के लायक कोई दिखे तो उसकी मदद जरूर करें धन्यवाद दोस्तों |