एक सन्त थे ,जो एक छोटे आश्रम का संचालन करते थे ! एक दिन पास के ही रास्ते से एक राहगीर को पकड़ करके अन्दर ले आये ! और शिष्यों के सामने उस से प्रश्न किया, कि यदि तुम्हें सोने की अशर्फियों की एक थैली, रास्ते में, पड़ी मिल जाए …
Category:
Blogs
-
लम्बे समय से बीमार चल रहे दादा जी की तबियत अचानक ही बहुत अधिक बिगड़ गयी. …
-
शहर से कुछ दूरी पर बसे एक मोहल्ले में रुचिका अपने हस्बैंड के साथ रहती थी. …
-
मोबाइल की स्क्रीन पर बेटे का नाम उभरते ही सावित्री चौंक गई। सालों बीत गए थे, …
-
रामू अपने काम में बहुत होशियार होने के बावजूद बड़ा ही आलसी था। जब देखो आलस …
-
(बुंदेली लोककथा पर आधारित) एक साधु बाबा विचरण करते हुए एक नगरी में आ पहुंचे। उन्होंने …
-
सुनो ….आज सर्दी बहुत है मैं समझता हूँ शाम को पापा के लिए कुछ गर्म कपडे …
-
पोपट काका सरकारी ऑफिस से रिटायर हो चुके थे। रिटायर हो कर भी अच्छे खासे दो …
-
“पापा! आज आप मेरी एक बात मानेंगे…?” पापा: “गुटखा छोड़ने के अलावा जो भी कहेगी, सब …
-
पति पत्नी दोनों डाक्टर थे। पत्नी ने तलाक़ का मुकदमा दायर कर दिया था। फैमिली कोर्ट …
Newer Posts
Your blog category